गन्ना एक प्रमुख नकदी फसल है, जो न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारता है, बल्कि इससे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिलता है। भारत में गन्ने से चीनी और गुड़ का उत्पादन किया जाता है, और यह देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करता है। यदि आप गन्ने की फसल से अधिक लाभ लेना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए महत्वपूर्ण कार्यों पर ध्यान दें।
गन्ने की फसल से अधिक फायदा उठाने के लिए आवश्यक कार्य
अगस्त में करें ये काम
सिंचाई का सही प्रबंधन
- गन्ने की फसल में आवश्यकता अनुसार सिंचाई करें और अधिक पानी देने से बचें।
गुडाई
- गन्ने की हर सिंचाई के बाद गुड़ाई जरूर करें। इससे मिट्टी में ऑक्सीजन और नमी का स्तर बेहतर रहेगा।
कीट निगरानी
- गन्ने में लगने वाले कीटों की निगरानी हेतु लाइट-फेरोमोन ट्रैप्स का प्रयोग करें (4 ट्रैप्स प्रति हेक्टेयर)।
पायरिला रोग का नियंत्रण
- यदि निचली पत्तियों पर सफेद अंडों का समूह दिखाई दे, तो ग्रसित पत्तियों को काटकर नष्ट कर दें।
काला चिकटा रोग की रोकथाम
- पत्तियों के हल्की पीली पड़ने पर 3% यूरिया और क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी का इस्तेमाल करें। इसे दवा का 6.25 लीटर प्रति हेक्टेयर से 1500-1600 लीटर पानी में मिलाकर पौधों में डालें।
रोग ग्रसित पौधों का निवारण
- रोगग्रस्त पौधों को खेत से निकालकर दूर ले जाकर नष्ट करें।
खाली जगह में मिट्टी चढ़ाना
- ज्यादा किल्ले निकलने की स्थिति में गन्ने की पंक्तियों में मिट्टी चढ़ा दें।
गन्ने की अधिक पैदावार के लिए ध्यान रखने योग्य बातें
फसल के साथ अंतः फसल
- यदि गन्ने के साथ अंतः फसल लगाई गई है, तो उनकी उर्वरक की समय से पूर्ति करें।
सिंचाई और ड्रेसिंग
- अंतः फसलें काटने के बाद शीघ्र ही गन्ने में सिंचाई और नाइट्रोजन की टॉप ड्रेसिंग करें।
गैप फिलिंग
- खाली स्थानों में पहले से अंकुरित गन्ने से गैप को भरें।
जल निकास
- यदि खेत में जल ठहराव हो रहा हो तो बिना देर किए जल निकास की उचित व्यवस्था करें।
मिट्टी की सुरक्षा
- नमी को सरंक्षित रखने के लिए रोग और कीट मुक्त पट्टी की 10 सेंटीमीटर मोटी परत बिछाएं।
कीट प्रबंधन
अक्टूबर या मार्च में कीट ग्रसित पौधों को खेत से निकालें।
उर्वरक का प्रयोग
नवंबर के अंतिम सप्ताह में उचित नमी होने पर 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर कार्बोफ्यूरान डालें।
गन्ने की उत्पादन बढ़ाने के आसान तरीके
रोग रहित बीजों का प्रयोग
- गन्ने के बीजों में रोग रहित और जल्दी पकने वाली किस्मों का प्रयोग करें।
8 महीने के बीज का प्रयोग
- गन्ने के उत्पादन के लिए 8 महीने की आयु के ही बीज का प्रयोग करें।
बुवाई का उचित तरीका
- गन्ने की बुवाई में लाइन से लाइन की दूरी 120 से 150 सेंटीमीटर रखें।
बीज का उपचार
- बीज की बुवाई से पहले उसका उपचार जरूर करें।
फफूंदनाशक और कीटनाशक
- गन्ने की फसल को फफूंदनाशक एवं कीटनाशक से उपचारित करें।
सहफसली विधि अपनाएं
- सहफसली विधि और खरपतवार, कीट व रोग प्रबंधन में मदद करें।
इन सभी उपायों को अपनाकर किसान गन्ने की फसल से अधिक लाभ उठा सकते हैं एवं अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकते हैं। इन उपायों को फॉलो करना खेतों में गन्ने के उत्पादन को बढ़ाने में मददगार होगा।